BIG BREKING NEWS
सभी जनजाति छात्रावासों में सिकल सेल की जांच हो, सुनिश्चित किया जाए- विक्रांतसिंह कुमरे,श्री कुमरे ने सिवनी जिले में समीक्षा कर अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश

भोपाल – आज जनजाति प्रकोष्ठ राज भवन से विधि सलाहकार विक्रांत सिंह कुमरे का आगमन सिवनी जिले में हुआ। उन्होंने जिला मुख्यालय पर सिकल सेल की समीक्षा की। उसकी जांच की समीक्षा करें। इसके अलावा उन्होंने जिला अस्पताल में वन अधिकार की समीक्षा की। कितने मिले हुए हैं। सामुदायिक वन अधिकार को बढ़ाने की बात की उन्होंने की धारा 3/1/आई के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा सामुद्रिक वन अधिकार के दावे बुलाए जाएं और पारित किए। प्रदाय किए जाएं। इसके निर्देश दिए। सभी जनजाति छात्रावासों में सिकल सेल की जांच हो, सुनिश्चित किया जाए। इसकी बात उन्होंने आदिमजाति कल्याण विभाग के अधिकारियों और सीएमएचओ को निर्देशित किया। इसके अतिरिक्त विक्रांत सिंह कुमरे सुखी सिवनी बरघाट के रहने वाले हैं। तो वह निक्षय मित्र भी हैं। सीएमएस ऑफिस में उन्होंने टीवी पेशेंट को बतौर निक्षय मित्र होने के नाते फूड बास्केट का भी वितरण किया। इसके अतिरिक्त बरघाट में आज 16 जनवरी के दिन शहीद बिंदु कुमरे जी, जो उनकी बुआ लगती हैं। उनकी शहादत, उनके बलिदान का दिवस मनाया जा रहा था और बरघाट गौरव दिवस भी था। उसी दिन को लेकर तो उसमें भी उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस मौके पर उनकी समाधि स्थल में गए और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करें। कार्यक्रम में पूर्व सांसद ढाल सिंह बिसेन, विधायक जी, कमल मर्सकोले, पूर्व आइएएस श्याम सिंह कुमरे जी, पूर्व वित्त संचालक जी कृष्णा कुमरे, जिला अध्यक्ष मीना बिसेन जी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
छपारा सीएससी सेंटर का भी उन्होंने निरीक्षण किया। केंद्र भी उन्होंने निरीक्षण किया एवं सिकल सेल के जांच को लेकर उन्होंने बोला कि फॉलो अप रजिस्टार बनाएं फॉलो अप किया जाए जितने लोगों की जांच हुई है। उसको जिले में फॉलो किया जाए। उनको दवाइयां मिले एवं उनको कार्ड्स वितरित किए जाए एवं उन्हें निशक्तता प्रमाण पत्र भी प्रदाय किया जाए। यह बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि माननीय राज्यपाल महोदय एवं माननीय प्रधानमंत्री महोदय का विजन है कि 2047 तक सिकल सेल से मुक्ति भारत को करानी और प्रदेश को करानी है। इसके लिए सब तत्पर रहे हैं एवं कमर कसकर काम करना शुरू कर दें।
श्री विक्रांत कुमरे ने आव्हान किया है कि टी.बी. उन्मूलन के लिए सामूहिक और आत्मीय प्रयासों की जरूरत है। प्रदेश के टी.बी. रोगियों के इलाज के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर संवेदनशील होना जरूरी है।