जबलपुर- मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम पी ट्रांसको) की ट्रांसमिशन लाइनों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में तेजी से हो रहे असुरक्षित निर्माण अब मानव जीवन के लिये गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं।
यह निर्माण इसलिए भी घातक है क्योंकि यह घरेलू बिजली की अपेक्षा 600 से 900 गुना अधिक खतरे वाले क्षेत्र में बना लिए गए हैं। धार क्षेत्र में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) की 132 के.व्ही. की 10 प्रमुख ट्रांसमिशन लाइनों के समीप मानव जीवन के लिये घातक और विद्युत सुरक्षा मानकों के विरूद्ध अनाधिकृत निर्माण कर लिये गये है, जिससे न केवल धार जिले की विद्युत व्यवस्था लंबे समय तक बाधित होने की आशंका पैदा हो गई है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इन निर्माणों को हटाने के लिये मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने संबंधितों को 70 नोटिस जारी किये है।
ट्रांसमिशन लाइनो की प्रतिबंधित सीमा में हुये निर्माणः धार के अनेक क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनो के प्रतिबंधित सीमा में अनाधिकृत निर्माण किये गये है, जिनमें विद्युत मानकों के अनुरूप न्यूनतम सुरक्षा दूरी का उल्लंघन किया गया है। धार में मनावर,कुक्षी ,उटावद,धानी,धरमपुरी, निगरनी, बंजारी ,महाकाल होटल संजय नगर धामनोद, बेगंदा, वास्तुधाम कॉलोनी धामनोद,बबलई, जलुद, खराडी,पनवा, गिरवान्य, नवकार कालोनी मनावर आदि क्षेत्र सबसे कम क्लियरेंस वाले (न्यूनतम सुरक्षा दूरी) क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइन और निर्माण के बीच बेहद कम क्लियरेंस पाया गया है, जो अति उच्च वोल्टेज की बिजली से जुड़े संभावित करंट, स्पार्किंग, और अग्निकांड जैसे गंभीर खतरे उत्पन्न कर सकता है।
इन ट्रांसमिशन लाइनों के समीप हुये निर्माण: धार जिले में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी की 10 ट्रांसमिशन लाइनों के समीप विद्युत सुरक्षा मानकों के विरूद्ध निर्माण कर लिये गये है। इन 132 के व्ही की ट्रांसमिशन लाइनों में निमरानी लिलो लाईन, निमरानी- धामनोद लाईन,छोटीखरगोन- मनावर लाईन, धामनोद-मनावर लाईन,कुक्षी- सिंघाना लाईन, कुक्षी मनावर लाईन, निमरानी- मनावर सर्किट दो और तीन लाईन, मनावर अल्ट्राटेक लाईन, निमरानी - जैतापुर लाईन कुक्षी जोबट लाईनें शामिल हैं।
70 नोटिस किये गये है जारीः एम.पी. ट्रांसको की अतिरिक्त मुख्य अभियंता श्रीमती नीलम खन्ना ने बताया कि धार में अब तक 70 नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इन नोटिसों के माध्यम से अवैध निर्माणकर्ताओं को आगाह किया गया है कि वे सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कर जोखिम भरे निर्माण न करें, यदि जो भी निर्माण किये जा चुके है उन्हें हटा लें। अन्यथा विधिक कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जरूरी है 27 मीटर का कॉरिडोर: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, 132 के.व्ही. या इससे अधिक वोल्टेज की ट्रांसमिशन लाइन के नीचे कम से कम 27 मीटर की सुरक्षित दूरी आवश्यक है, ताकि हवा में झूलते तारों से संपर्क न हो और दुर्घटना टाली जा सके।
600 गुना अधिक रहता है इन ट्रांसमिशन लाइनों से जान का खतरा: आम घरों में उपयोग होने वाली विद्युत आपूर्ति की तीव्रता मात्र 230 वोल्ट होती है। यह स्तर भी इतना अधिक होता है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से इसके संपर्क में आ जाए तो गंभीर रूप से घायल हो सकता है या उसकी जान भी जा सकती है। लेकिन इससे भी कहीं अधिक खतरनाक होती हैं, शहर भर में क्रियाशील एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनें, जिनमें विद्युत तीव्रता 132 के.व्ही. (यानी 132,000 वोल्ट) होती है। जो कि घरेलू बिजली की तुलना में 600 गुना अधिक रहती है। यह अंतर दर्शाता है कि अगर मात्र 230 वोल्ट के संपर्क में आने से जान को खतरा हो सकता है, तो 132 के.व्ही. की ट्रांसमिशन लाइनों के पास रहने या निर्माण करने से कितना बड़ा जोखिम हो सकता है। ट्रांसमिशन लाइनों के आसपास निर्धारित प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि यह जानलेवा जोखिम भी उत्पन्न करता है।