खंडवा/हरसूद- सर्वप्रथम रक्षाबंधन और भुजरिया पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रारंभ हुई, बैठक में संतोष गौर में कहां कि हम सभी को अपने अपने निकाय पार्षद पद पर निर्वाचित हुए ढाई से तीन साल पूर्ण हो चुके है। इस दौरान हम लोगों ने अपने अपने वार्डों में जनता के प्रति जवाबदारी निभाई है। लेकिन पिछले वर्ष में और अभी पुनः नए सिरे से प्रदेश सरकार द्वारा नगर पालिका अधिनियम 1961 में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर हास्यास्पद संशोधन किया जाना प्रस्तावित किया है। पहले अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास की अवधि 03 वर्ष की गई। और अब इसे साढ़े चार साल किए जाने की कवायद जारी है। ऐसे में नगर पालिका और नगर परिषद में पार्षदों के अधिकार को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। प्रदेश में महापौर , नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्षों का संगठन है जो समय समय पर उनके हितों के लिए सरकार से संवाद कर अपनी मांगे पूरी करता रहा है। लेकिन प्रदेश में पार्षदों की समस्या और मांगो को लेकर कोई संगठन नहीं है। ऐसे में नगर पालिका एक्ट में जब हमारे प्रमुख अधिकार को पंगु बनाया जाने का निर्णय लिया जाना है। हम सभी को मिलकर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अविश्वास प्रस्ताव के संशोधन के विरुद्ध आवाज बुलंद करना चाहिए। इसके मध्य प्रदेश पार्षद महासंघ का गठन किया जाना अनिवार्य है। इस क्रांतिकारी पहल में आपका सक्रिय योगदान अनिवार्य है। प्रदेश स्तरीय पार्षद महासंघ के संदर्भ में चर्चा के बाद एक बार पुनः बैठक के पश्चात मध्यप्रदेश के अन्य जिलों के पार्षदों से चर्चा करके मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से मिलकर पार्षदों के हित हाधिकार के हनन की रक्षा करने, एवं नगर पालिका अधिनियम 1961 में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संशोधन को रोकने के मांग करना है। बैठक में नगर परिषद खिड़कियां, सिराली, छनेरा, पंधाना आदि नगर परिषद के पार्षद मौजूद थे।
मेराज खान, पायल कुशवाह, सुधा जितेंद्र मालवीय, संतोष गौर, इसाक दिदावत, जितेंद्र सिंह ठाकुर, अनुराधा सोमानी, विक्रम सिंह राजपूत, शिवदास गुर्जर, रेखा बांके, आकाश यादव, गब्बू प्रजापति, छमा श्याम बच्चानियां, बहादुर राजपूत, राहुल शाह, हयात पटेल, कालूराम सेजकर, भागवत सिंह राजपूत, माधवी गुप्ता, खलील खान, भूषण चंदेल, आदि पार्षदगण मौजूद थे।
बैठक : एजेंडा
1. जैसा कि आप सभी जानते है कि प्रदेश सरकार एक वर्ष पहले नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43(क) जिसमें महापौर, नपा और नप अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार पार्षदों को दो वर्ष में था।
2. लेकिन गत वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा इस नप एक्ट 1961 की धारा 43(क) में संशोधन कर 43(ए) के तहत यह अवधि 03 वर्ष कर दी गई।
3. पिछले दिनों समाचार पत्रों और नगरीय प्रशासन आवास विभाग के हवाले से आई सूचना में अध्यक्षों की मांग पर यह अवधि 4.5 साल की जाना प्रस्तावित किया गया है।
4. एक ही कार्यकाल में अध्यक्षों के हितों के लिए 02 बार एक्ट में संशोधन पार्षदों के अधिकार के साथ कुठाराघात है। यही नहीं इससे नप अध्यक्ष और अधिक निरंकुश होकर कार्य करेंगे।
5. इसी तारतम्य में आज बैठक बुलाई गई है। प्रदेश में जिला जनपद अध्यक्ष से लेकर सरपंचों और महापौर व नप अध्यक्षों का संगठन है। यह जनप्रतिनिधि शासन स्तर पर अपने हितों में मांग मनवाते रहे है।
6. ऐसे में वार्ड की जनता के हितों और पार्षदों के अधिकार के लिए हम सभी प्रदेश भर ने एकत्र होना अनिवार्य है।
7. हम सभी जानते है कि प्रदेश 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 264 नगर परिषद प्रमुख है । इनकी कुल संख्या 378 है।
8. जबकि प्रदेश भर के निकायों में पार्षदों की संख्या लगभग 7 हजार है। हम सभी को एकजुट होकर शासन स्तर माननीय मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन विभाग मंत्री से भेंट कर अपने अधिकार की बात संयुक्त रूप से रखना है