बुधवार, 6 अगस्त 2025

केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा वन्यप्राणी आदान-प्रदान के लिए आवश्यक कार्यवाही करें: उप मुख्यमन्त्र श्री शुक्ल

गोविंदगढ़ में बाघ प्रजनन केन्द्र एवं कर्नाटक के पीलीकुला बायोलॉजिकल पार्क के बीच वन्यप्राणियों के आदान-प्रदान की कार्यवाही की समीक्षा की
भोपाल: उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने मंत्रालय भोपाल में रीवा जिले के गोविंदगढ़ स्थित बाघ प्रजनन केन्द्र एवं कर्नाटक राज्य के मंगलुरु स्थित पीलीकुला बायोलॉजिकल पार्क के मध्य वन्यप्राणियों के प्रस्तावित आदान-प्रदान संबंधी कार्ययोजना की समीक्षा की। अपर मुख्य सचिव, वन श्री अशोक बर्णवाल और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) श्री शुभरंजन सेन उपस्थित रहे।
    उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने बाघ प्रजनन केन्द्र, गोविंदगढ़ में बाघ संरक्षण और संवर्धन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश “टाइगर स्टेट” के रूप में अपनी पहचान को और सशक्त बना रहा है। उन्होंने कहा कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अंतर्राज्यीय सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा विचाराधीन वन्यप्राणी आदान-प्रदान प्रस्ताव को शीघ्र अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
      उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि गोविंदगढ़ के बाघ प्रजनन केन्द्र को वन्यजीव पर्यटन, जैव विविधता संरक्षण और अनुसंधान के एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक अधोसंरचना, विशेषज्ञ संसाधनों और तकनीकी मार्गदर्शन की रूपरेखा पर कार्य प्रारंभ किया जाये। उल्लेखनीय है कि बाघ संरक्षण की दिशा में गोविंदगढ़ बाघ प्रजनन केन्द्र एक महत्त्वपूर्ण पहल के रूप में विकसित हो रहा है।

विश्व स्तनपान सप्ताह पर केडीएसएस संस्था की अनूठी पहल

खंडवा- देशगांव सेंटर से सोल परियोजना के अंतर्गत 25 गांवों में आयोजित हो रहा जनजागरूकता कार्यक्रम केडीएसएस संस्था के द्वारा संचालित सोल परियोजना के माध्यम से 1 अगस्त से 7 अगस्त 2025 तक विश्व स्तनपान सप्ताह बड़े ही प्रेरणादायक और संगठित रूप से मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम परियोजना क्षेत्र के 25 गांवों में आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य समुदाय में शिशु व मातृत्व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और स्तनपान को बढ़ावा देना है।
इस व्यापक अभियान का नेतृत्व संस्था के निदेशक फादर रॉबिन्सन द्वारा किया जा रहा है, वहीं कार्यक्रम की समग्र निगरानी परियोजना अधिकारी श्री सुशील फ्रांसिस द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्तनपान न केवल शिशु के लिए सबसे उत्तम पोषण का स्रोत है, बल्कि यह मां के लिए भी शारीरिक व भावनात्मक रूप से लाभकारी होता है।
श्री सुशील फ्रांसिस ने बताया कि शिशु के पहले छह माह तक केवल मां का दूध ही पर्याप्त होता है और यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सशक्त बनाता है। छह माह बाद शिशु के आहार में दाल का पानी, हल्का सुपाच्य भोजन, चावल, फल आदि धीरे-धीरे शामिल करने की सलाह दी गई है।
इस कार्यक्रम के दौरान 150 धात्री माताओं को मूंग और चना वितरित किया गया, साथ ही उन्हें बताया गया कि अंकुरित अनाज पोषण का बेहतरीन स्रोत है और इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना कितना लाभदायक हो सकता है। माताओं को स्तनपान के महत्व, शिशु के विकास में उसके योगदान, तथा कुपोषण से बचाव पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। यह कार्यक्रम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से किया गया है l
कार्यक्रम को सफल बनाने में परियोजना स्टाफ की अहम भूमिका रही। विशेष रूप से लालसिंह पटेल, वीरेंद्र चौहान, दिनेश कनाडे, भैयालाल मेरान, दिलीप घोसले, दिग्विजयसिंह ठाकुर और राजू रंधावे का उल्लेखनीय योगदान रहा।

मंगलवार, 5 अगस्त 2025

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-U) में सब्सिडी का सुनहरा अवसर

खंडवा नगर निगम द्वारा नागरिकों को सूचित किया जाता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (PMAY-U) अंतर्गत इंटरेस्ट सब्सिडी योजना के तहत पात्र नागरिकों को अब 4% ब्याज की छूट के साथ अधिकतम ₹1.80 लाख तक का लाभ मिल सकता है।
पात्रता की मुख्य बातें:
 • जिनकी कुल पारिवारिक आय ₹9 लाख तक है, वे आवेदन कर सकते हैं।
 • लोन राशि अधिकतम ₹25 लाख तक एवं भवन की अनुमानित लागत ₹35 लाख तक होनी चाहिए।
 • 4% ब्याज छूट पर अधिकतम ₹1.80 लाख तक का लाभ।
 • वे लोग भी पात्र हैं जिन्होंने सितंबर 2024 के बाद लोन लिया है।
जानकारी प्राप्त करने एवं आवेदन की प्रक्रिया जानने हेतु संपर्क करें:
नगर निगम कार्यालय, झोन क्रमांक 1, खंडवा
अब घर का सपना होगा साकार- प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ें और अपना भविष्य सुरक्षित करें।
नगर निगम खंडवा आप सभी नागरिकों से अपील करता है कि इस योजना का अधिक से अधिक लाभ लें और अपने सपनों का घर बनाएं।

“चाचुआ” कुप्रथा के उन्मूलन के लिए विशेष अभियान प्रारंभ, बच्चों को दागने के कार्य में संलग्न लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होगी

खंडवा - आदिवासी बहुल विकासखंड खालवा के ग्रामीण क्षेत्रों में “चाचुआ” अर्थात बच्चों को दागने जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान का शुभारंभ कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता की उपस्थिति में मंगलवार को खालवा में आयोजित कार्यक्रम में किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत के सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा के अलावा एसडीएम हरसूद श्री पुरुषोत्तम कुमार तथा जनपद पंचायत खालवा की अध्यक्ष श्रीमती सोनता बाई तथा उपाध्यक्ष श्रीमती सती बाई सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मौजूद थे। 
       कलेक्टर श्री गुप्ता ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि पहले चरण में अगले तीन चार महीने तक “चाचुआ” अर्थात बच्चों को दागने जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए गांव-गांव में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, गांव की एएनएम, पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक को शामिल करते हुए ग्रामवार कर्मचारियों के दल गठित किए जाएंगे, जो कि इस तरह की कुप्रथा को रोकने के लिए प्रयास करेंगे और आवश्यक होने पर इस कुप्रथा में शामिल लोगों के विरुद्ध कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे। 
 कलेक्टर श्री गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि बाल संरक्षण आयोग द्वारा इस कुप्रथा को कानूनन अपराध बताया गया है, तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 में भी इस कुप्रथा को रोकने के लिए प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि समझाइश के बावजूद भी जो लोग नहीं मानेंगे उनके विरुद्ध पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। कलेक्टर श्री गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि चाचुआ जैसी कुप्रथा से कोई भी बच्चा स्वस्थ नहीं हो सकता, बल्कि कई बच्चे इस कुप्रथा के कारण मर भी जाते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी बीमारी होने पर ग्रामीणजन नीम हकीमों के चक्कर में ना पड़ें, बल्कि बच्चों को सीधे सरकारी अस्पताल ले जाएं। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इस कुप्रथा को रोकने के सम्बंध में तैयार प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया तथा मास्टर ट्रेनर ने उपस्थित ग्रामीणों से इस कुप्रथा को रोकने में सहयोग करने की अपील की।

केनरा बैंक का मैनेजर का मैनेजर 5 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार

खंडवा- नया हरसूद के छनेरा स्थित केनरा बैंक के मैनेजर को इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार शाम 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। आरोपी मैनेजर ने एक किसान से आचार्य विद्यासागर योजना के तहत 6 लाख रुपए के डेयरी लोन की स्वीकृति के लिए 75 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
लोकायुक्त डीएसपी सुनील चालान ने बताया कि ग्राम रामपुरी रैय्यत निवासी विनोद लोवंशी ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, बैंक मैनेजर राधा रमनसिंह राजपूत ने लोन राशि को आवेदक के खाते में ट्रांसफर करने के एवज में 75 हजार रुपए की मांग की थी। आरोपी पहले ही 10 हजार रुपए रिश्वत ले चुका था। महानिदेशक लोकायुक्त योगेश देशमुख के भ्रष्टाचार के विरूद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश पर इंदौर लोकायुक्त इकाई की ट्रेप कार्रवाई की है। लोकायुक्त टीम में डीएसपी सुनील तालान, निरीक्षक सचिन पटेरिया, आरक्षक विजय सेलार, आरक्षक अनिल परमार,आरक्षक पवन पटोरिया, टाइपिस्ट प्रभात मोरे, चालक शेरसिंह ठाकुर सहित पंच व साक्षी शामिल है। आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7, के अंतर्गत कार्रवाई की गई है।

उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं के सुविधाजनक प्रदाय और भविष्य की मांग को केंद्रित रख तैयार करें रिडेवलपमेंट प्लान: उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल

ग्वालियर एवं जबलपुर मेडिकल कॉलेज के रीडवलपमेंट प्लान की समीक्षा कर 2 सप्ताह में वृहद प्रस्ताव प्रस्तुत करने के दिए निर्देश
भोपाल: उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने निर्देश दिए हैं कि ग्वालियर स्थित गजरा राजा मेडिकल कॉलेज और जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के पुनर्निर्माण और नवीन निर्माण कार्य इस दृष्टिकोण से तैयार किए जाएं कि ये संस्थान भावी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, तकनीकी दक्षता और मरीजों की सुविधा की कसौटी पर खरे उतरें। उन्होंने कहा कि इन मेडिकल कॉलेजों का रीडवलपमेंट केवल भवन निर्माण का कार्य न होकर एक समग्र स्वास्थ्य व्यवस्था के आधुनिकीकरण का प्रयास है, जो मरीजों को उच्च स्तरीय, सुरक्षित और सुलभ सेवाएं उपलब्ध कराने में सहायक होगा।
     उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने मंत्रालय में समीक्षा बैठक में कहा कि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के कार्यों का प्रस्ताव दो चरणों में तैयार किया जाए और एक सप्ताह के भीतर उसका प्रारूप प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने जबलपुर मेडिकल कॉलेज के रीडवलपमेंट प्लान को दो सप्ताह में अंतिम रूप से तैयार करने के निर्देश भी दिए। उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावों में सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश हो, हरियाली एवं पर्यावरण संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाए, तथा भवनों की संरचनात्मक मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता सुनिश्चित की जाए।
     उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि विकास कार्यों से मरीजों को अधिक संख्या में बेड, अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर, आईसीयू और साफ-सुथरे वार्ड उपलब्ध हो सकेंगे। इससे विशेष रूप से प्रसूति और बाल रोग मरीजों को गुणवत्ता युक्त सेवाएं मिलेंगी। इसके साथ ही, न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी में अध्ययनरत मेडिकल छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण एवं प्रयोगात्मक सुविधाएँ भी मिलेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि नया इंफ्रास्ट्रक्चर स्वच्छता, संक्रमण नियंत्रण, वेंटिलेशन और जल निकासी जैसी मूलभूत सुविधाओं में भी महत्वपूर्ण सुधार लाएगा।
      ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज परिसर में प्रस्तावित कार्यों में 1150 बिस्तरीय मातृत्व एवं शिशु चिकित्सालय, 600 बिस्तरीय न्यूरोसाइंसेस चिकित्सालय, 1400 सीट की क्षमता वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम, 500 बिस्तरीय नर्सिंग छात्रावास, नया नर्सिंग महाविद्यालय, प्रशासनिक भवन, सेंट्रल ड्रग स्टोर, आवासीय क्वार्टर, टीबी एवं आइसोलेशन वार्ड, मरीजों के परिजनों हेतु डॉर्मिटरी, बहुमंजिला पार्किंग, वॉटर सप्लाई सिस्टम, सीवरेज और ईफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट, बाह्य विद्युतीकरण, बाउंड्री वॉल और आंतरिक रोड नेटवर्क का निर्माण प्रस्तावित है।
     उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने निर्देश दिए कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज के रीडवलपमेंट की योजनाएं फील्ड की यथार्थ आवश्यकताओं पर आधारित हों, अधोसंरचना विकास में आधुनिक उपकरणों की उचित जगह स्थापना और हरियाली का समावेश भी किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता प्रभावित न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। बैठक में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री संदीप यादव, परियोजना संचालक श्री नीरज कुमार सिंह, एमडी एमपीएचएससीएल श्री मयंक अग्रवाल, एमडी बीडीसी श्री सिबी चक्रवर्ती सहित विभागीय वरिष्ठ अधिकारी और निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 

खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में ही रोकें, खालवा में जल समितियों के सम्मेलन में कलेक्टर श्री गुप्ता ने ग्रामीणों से की अपील

खंडवा- वर्षा ऋतु में खेत का पानी खेत में, और गांव का पानी गांव में ही रोकने के लिए सभी ग्रामीण मिलकर सामूहिक प्रयास करें।  अपने परिवारजनों तथा अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए वर्षा का पानी बचाएं। यह बात कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने खालवा में आयोजित जल समितियों के प्रशिक्षण में संबोधित करते हुए कही। 
      कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि हर वर्ष भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। हमें आज से ही पानी बचाने के लिए विशेष प्रयास करना होंगे। पानी बचाने की दिशा में हम अभी नहीं जागे, तो बहुत देर हो जाएगी। उन्होंने जल समितियों के सदस्यों से कहा कि गांव-गांव में पानी का महत्व बतायें और सभी से वर्षा का पानी बचाने की अपील करें। 
       कलेक्टर श्री गुप्ता ने जल समितियों के उपस्थित सदस्यों से अपील की कि पहले वे अपने घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवायें और फिर गांव के अन्य लोगों को भी उनके घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए प्रेरित करें। 
        कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि हम जितना पानी खर्च करते हैं, उतना पानी बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। जिले की हर पक्की छत से वर्षा का पानी भूजल संवर्धन के उपयोग में आए, यह अगले 1 वर्ष में हमें सुनिश्चित करना है। उन्होंने जल समिति के सदस्यों को शामिल करते हुए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए भी कहा, ताकि जल संरक्षण से संबंधित गतिविधियों को उसमें शेयर किया जा सके। कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि अमृत संचय अभियान के तहत हमें जिले के सभी शासकीय व प्राइवेट भवनों की पक्की छतों पर रूफवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना है, ताकि वर्षा के पानी की एक-एक बूंद जमीन में समाकर भूजल स्तर को बढ़ाए। उन्होंने कहा कि 30 जून, 2026 तक प्रत्येक पक्की छत पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए “मिशन अमृत संचय” प्रारंभ किया गया है।  
           कार्यक्रम में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौड़ा ने अपने संबोधन में बोरी बंधान, खेत तालाब, गली प्लग, मेढ़ बंधान जैसी जल ग्रहण संरचनाओं की उपयोगिता और उन्हें बनाने के तरीकों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आगामी 31 अगस्त तक जल समितियों के सभी सदस्य पानी बचाने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर लें। उन्होंने बताया कि मिशन अमृत संचय के तहत भूजल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य करने वाली पंचायतो को चयनित कर पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जनपद पंचायत से 5 सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा। 
        इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर श्री कुलदीप फरे द्वारा जल समिति के सदस्यों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से भूजल संरक्षण के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। जल समिति के सदस्यों को बोरी बंधान बनाने, डगवेल रिचार्ज बनाने, हैंड पंपों के आसपास सोखता गड्ढे बनाने, मेढ़ बंधान, नाला गहरीकरण कंटूर ट्रेंच जैसी जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण के संबंध में भी प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दी गई। कार्यक्रम में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा, जनपद अध्यक्ष श्रीमती सोनता बाई कवड़े तथा उपाध्यक्ष श्रीमती सतीबाई और एसडीएम हरसूद श्री पुरुषोत्तम कुमार भी मौजूद थे।

सोशल मीडिया के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लायें, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स से कलेक्टर श्री गुप्ता ने की अपील

खंडवा- वर्षा के पानी कोे भूजल संवर्धन के लिए उपयोग में लाने के उद्देश्य से जिले की सभी पक्की छतों पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने का प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता के निर्देशन में भूजल संवर्धन के लिए “अमृत संचय अभियान” प्रारंभ किया गया है। इस अभियान के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से मंगलवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में जिले के सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स की कार्यशाला सह प्रशिक्षण आयोजित किया गया। कार्यशाला में कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स से अपील की कि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण और पानी का महत्व बतायें और जिला प्रशासन द्वारा मिशन अमृत संचय के तहत किये जा रहे कार्यों के प्रचार प्रसार में भागीदार बनें। कार्यक्रम में जिला पंचायत के सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा, सहायक कलेक्टर श्री कृष्णा सुशीर,  जिला पंचायत की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमति निकिता मंडलोई, सहित अन्य अधिकारी व सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स भी मौजूद थे।
जिले की हर पक्की छत पर लगाये जाएं रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
कलेक्टर श्री गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि हमें पानी का मोल पहचानना होगा। पानी बचाना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी को मिलकर पानी बचाना होगा। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स सदस्यों को शामिल करते हुए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, इसके माध्यम से जल संरक्षण से संबंधित गतिविधियों को उसमें शेयर किया जाएगा, ताकि सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पानी बचाने के इस अभियान की गतिविधियां शेयर कर सकें। कलेक्टर श्री गुप्ता ने बताया कि अमृत संचय अभियान के तहत हमें जिले के सभी शासकीय व प्राइवेट भवनों की पक्की छतों पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना है, ताकि वर्षा के पानी की एक-एक बूंद जमीन में समाकर भूजल स्तर को बढ़ाए। उन्होंने कहा कि 30 जून, 2026 तक प्रत्येक पक्की छत पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए “मिशन अमृत संचय” प्रारंभ किया गया है। 
*पानी बचाना हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है*
कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि विकास की दौड़ में हम पर्यावरण संरक्षण को भूल जाते हैं। महानगरों में सीमेंट कांक्रीट के अधिक उपयोग से वर्षा का पानी बिना रूके तेज गति  से बह जाता है और भूजल संवर्धन नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि नागरिकगण अपने घरों की छतों पर 5-10 हजार रूपये खर्च कर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाकर लाखों रूपये मूल्य का पानी बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम जितना पानी खर्च करते हैं, उतना पानी बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। कलेक्टर श्री गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि जिले की हर पक्की छत से वर्षा का पानी भूजल संवर्धन के उपयोग में आए, यह अगले एक वर्ष में हमें सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि पानी बचाना हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। 
“मिशन अमृत संचय” के संबंध में सोशल मीडिया पर रील बनाने की स्पर्धा होगी
कार्यक्रम में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौड़ा ने सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स से अपील की कि अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से पानी के महत्व के बारे में नागरिकों को जागरूक करें। उन्होंने पावर पॉइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से मिशन अमृत संचय के तहत किये जाने वाले जल संरक्षण के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रजेन्टेशन के माध्यम से बोरी बंधान, खेत तालाब, गली प्लग, मेढ़ बंधान जैसी जल ग्रहण संरचनाओं की उपयोगिता और उन्हें बनाने के तरीकों के बारे में भी बताया। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि “अमृत संचय अभियान” के संबंध में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स के बीच रील बनाने की स्पर्धा भी आयोजित की जाएगी तथा रील बनाने के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को पुरस्कृत भी किया जाएगा। 
*(फोटो संलग्न)*

सोमवार, 4 अगस्त 2025

खंडवा के श्री झूलेलाल मंदिर से निकली भव्य मातृशक्ति कावड़ यात्रा, हजारों की संख्या में मातृशक्ति हुई शामिल


खंडवा - खंडवा में श्रावण मास के चतुर्थ सोमवार को श्री झूलेलाल मंदिर से महादेवगढ़ वाले महाकाल की और मातृशक्ति की कांवड़ यात्रा निकाली गई। जिसका जगह जगह स्वागत अभिनंदन किया गया। दीवाने झूलेलाल साईं के नाम के संस्था के सदस्यों ने भी हर्ष व्यक्त करते हुए मातृशक्ति पर पुष्पवर्षा की और उत्साहवर्धन किया।इस कांवड़ यात्रा का अनेक जगह पर भव्य स्वागत किया गया।इस संदर्भ में श्री झूलेलाल सांई के दीवाने मित्र मंडल द्वारा भी पुष्प बरसा कर स्वागत किया गया।सिंधी कॉलोनी गली नंबर 3 में सोमवार शाम 4 बजे संपन्न स्वागत की इस बेला में संतोष कृपलानी, मनोज रोहड़ा, नीरज फतवानी, राजेश गोपानी, कमल नागपाल, जीतू नाथानी, विक्रम सहजवानी, किशोर चंदवानी, जैकी रेवतानी, मोहित बजाज, हरीश आसवानी, अमित वेढ़ानी, कैलाश चंचलानी, हरीश रिझवानी, कमल बजाज, कैलाश उदासी, प्रदीप कोटवानी, सुरेश पंजाबी, रवि आसवानी, मोहित गोस्वामी, गौरव बजाज, अजय मंगवानी, अजय विधानी, अनिल सहजवाणी,अमय सीतलनी,मुरली डोडानी, मनोज चंचलानी, सुनील चचलानी, अनिल सबनानी संगीत अनेक सदस्य उपस्थित रहे।इस कावड यात्रा में भगवान श्री झूलेलाल की प्रतिमूर्ति बने बाबू भाई बिनवानी सभी के आकर्षण का केंद्रबिंदु बने रहे।

धार में घरेलू बिजली से 600 गुना अधिक जोखिम वाले क्षेत्र में हो रहे निर्माण, ट्रांसमिशन लाइन के समीप स्थित 20 कॉलोनियों के 70 मकान खतरे की जद में

जबलपुर- मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम पी ट्रांसको) की ट्रांसमिशन लाइनों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में तेजी से हो रहे असुरक्षित निर्माण अब मानव जीवन के लिये गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। 
यह निर्माण इसलिए भी घातक है क्योंकि यह घरेलू बिजली की अपेक्षा 600 से 900 गुना अधिक खतरे वाले क्षेत्र में बना लिए गए हैं। धार क्षेत्र में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) की 132 के.व्ही. की 10 प्रमुख ट्रांसमिशन लाइनों के समीप मानव जीवन के लिये घातक और विद्युत सुरक्षा मानकों के विरूद्ध अनाधिकृत निर्माण कर लिये गये है, जिससे न केवल धार जिले की विद्युत व्यवस्था लंबे समय तक बाधित होने की आशंका पैदा हो गई है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इन निर्माणों को हटाने के लिये मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने संबंधितों को 70 नोटिस जारी किये है।
ट्रांसमिशन लाइनो की प्रतिबंधित सीमा में हुये निर्माणः धार के अनेक क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनो के प्रतिबंधित सीमा में अनाधिकृत निर्माण किये गये है, जिनमें विद्युत मानकों के अनुरूप न्यूनतम सुरक्षा दूरी का उल्लंघन किया गया है। धार में मनावर,कुक्षी ,उटावद,धानी,धरमपुरी, निगरनी, बंजारी ,महाकाल होटल संजय नगर धामनोद, बेगंदा, वास्तुधाम कॉलोनी धामनोद,बबलई, जलुद, खराडी,पनवा, गिरवान्य, नवकार कालोनी मनावर आदि क्षेत्र सबसे कम क्लियरेंस वाले (न्यूनतम सुरक्षा दूरी) क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइन और निर्माण के बीच बेहद कम क्लियरेंस पाया गया है, जो अति उच्च वोल्टेज की बिजली से जुड़े संभावित करंट, स्पार्किंग, और अग्निकांड जैसे गंभीर खतरे उत्पन्न कर सकता है।
इन ट्रांसमिशन लाइनों के समीप हुये निर्माण: धार जिले में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी की 10 ट्रांसमिशन लाइनों के समीप विद्युत सुरक्षा मानकों के विरूद्ध निर्माण कर लिये गये है। इन 132 के व्ही की ट्रांसमिशन लाइनों में निमरानी लिलो लाईन, निमरानी- धामनोद लाईन,छोटीखरगोन- मनावर लाईन, धामनोद-मनावर लाईन,कुक्षी- सिंघाना लाईन, कुक्षी मनावर लाईन, निमरानी- मनावर सर्किट दो और तीन लाईन, मनावर अल्ट्राटेक लाईन, निमरानी - जैतापुर लाईन कुक्षी जोबट लाईनें शामिल हैं।
70 नोटिस किये गये है जारीः एम.पी. ट्रांसको की अतिरिक्त मुख्य अभियंता श्रीमती नीलम खन्ना ने बताया कि धार में अब तक 70 नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इन नोटिसों के माध्यम से अवैध निर्माणकर्ताओं को आगाह किया गया है कि वे सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कर जोखिम भरे निर्माण न करें, यदि जो भी निर्माण किये जा चुके है उन्हें हटा लें। अन्यथा विधिक कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जरूरी है 27 मीटर का कॉरिडोर: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, 132 के.व्ही. या इससे अधिक वोल्टेज की ट्रांसमिशन लाइन के नीचे कम से कम 27 मीटर की सुरक्षित दूरी आवश्यक है, ताकि हवा में झूलते तारों से संपर्क न हो और दुर्घटना टाली जा सके। 
600 गुना अधिक रहता है इन ट्रांसमिशन लाइनों से जान का खतरा: आम घरों में उपयोग होने वाली विद्युत आपूर्ति की तीव्रता मात्र 230 वोल्ट होती है। यह स्तर भी इतना अधिक होता है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से इसके संपर्क में आ जाए तो गंभीर रूप से घायल हो सकता है या उसकी जान भी जा सकती है। लेकिन इससे भी कहीं अधिक खतरनाक होती हैं, शहर भर में क्रियाशील एक्स्ट्रा हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनें, जिनमें विद्युत तीव्रता 132 के.व्ही. (यानी 132,000 वोल्ट) होती है। जो कि घरेलू बिजली की तुलना में 600 गुना अधिक रहती है। यह अंतर दर्शाता है कि अगर मात्र 230 वोल्ट के संपर्क में आने से जान को खतरा हो सकता है, तो 132 के.व्ही. की ट्रांसमिशन लाइनों के पास रहने या निर्माण करने से कितना बड़ा जोखिम हो सकता है। ट्रांसमिशन लाइनों के आसपास निर्धारित प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि यह जानलेवा जोखिम भी उत्पन्न करता है।

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